“चतुररत्रिक कुर्य्दन्तर्मध्ये वहि क्रम्त्। दव चतुरस्तद्दिककेअग्वक्रसिद्धये॥८२॥दन् प्रत्येक चतुररसम्गमेउ मध्ये च। भिजिद्युक्त्तस्त्र् स्थ्प्य् स्यु सप्त सप्त गअन्थ्॥८३॥दग्र्द्मध्म निर्गत्यततोन्तिकस्थदएन। एव पुन प्रवेओ निर्गमन प्रोक्त्तवच्च गअनमिह॥”८४।। কালচক্র বিচার পদ্ধতি প্রাচীন আর্য্যসভ্যতা ও তিব্বতীয় সভ্যতার প্রত্যক্ষ নিদর্শন। গৌতমবুদ্ধ তাঁর জীবদ্দশার শেষ ভাগে “কালচক্র” সম্পর্কে…
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